Thursday, May 31, 2018

BSNL के साथ मिलकर पतंजलि ने launch की Patanjali Sim

BSNL  के साथ मिलकर पतंजलि ने launch की Patanjali Sim
बधाई हो ! देश का  पहला स्वदेशी सिम launch हो ही गया जिसका हम सबको काफी लंबे  समय से इंतेजार था।
आखिरकार बाबा रामदेव ने भारत संचार निगम लिमिटेड ( BSNL) के साथ मिलकर एक सिम पतंजलि सिम  के नाम से भारत मे लॉंच कर दिया गया  है।


            पूज्य Swami Ramdev जी महाराज द्वारा स्वदेशी समृद्धि सिम कार्ड लॉन्च किया गया. Patanjali Yogpeeth, Haridwar और BSNL India द्वारा संयुक्त रूप से जारी इस खास सिम का फायदा Patanjali के कार्यकर्ता और संगठन से जुड़े पदाधिकारी उठा सकेंगे।पूज्य श्री ने कहा कि इस सिम से मिलने वाला प्रॉफिट देश हित में लगाया जाएगा। योजना सफल होने पर सिम का विस्तार आम लोगों में किया जाएगा।

                               सिम से बहुत बड़ी-बड़ी कंपनियों जैसे Jio,Airtel etc. आदि का जो क्रेज़ लोगों के बीच मे फैला हुआ है वो जल्द ही खतम हो सकता है ।अब देखना ये है की ओर कंपनियाँ खुद को बचाने के लिए क्या बड़े कदम उठाने वाली है । बाबा रामदेव ने झ शुरुआत मे ही सारे पेक इतने सस्ते रखे है की कोई भी उनकी सिम खरीदना चाहेगा।
ओर जानकारी  लेने के लिए पतंजलि का ये विडियो देख सकते है। क्लिक here

Tuesday, May 29, 2018

'मुझे अपनी जाति की वजह से नौकरी छोड़नी पड़ी'


'मुझे अपनी जाति की वजह से नौकरी छोड़नी पड़ी'
एक पढ़ी-लिखी और अच्छी नौकरी करने वाली दलित लड़की के लिए भी ज़िंदगी आसान नहीं होती. पूजा को किन मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, जानिए उनकी ही जुबानी.

मुझे स्कूल में पता चला कि मैं 'नीची जाति' की हूं.

शायद सातवीं या आठवीं क्लास में पढ़ती थी. कोई फ़ॉर्म भरा जा रहा था, उसमें अपनी जाति लिखनी थी. बाकी बच्चों की तरह मैंने भी लिखी. सबकी नज़र उस पर गई और अचानक सब कुछ बदल गया.
मुझे ये बता दिया गया कि मैं 'नीची जाति' की हूं और हरेक पल ये जताया भी जाने लगा.
स्कूल में सबका बर्ताव मेरे साथ बदल गया. जो दोस्त दिनभर मेरे साथ खेलते-खाते थे वो मुझसे कटे-कटे रहने लगे. टीचरों की नज़रें भी अजीब सी लगने लगीं.

'मेरे साथ ये क्यों हो रहा है?'
मैंने घर आकर पापा से पूछा कि मेरे साथ ये सब क्यों हो रहा है तो उन्होंने बताया कि हम दलित हैं और हमारे साथ हमेशा से ऐसा होता आया है.
उस वक़्त ज़्यादा कुछ समझ नहीं आया लेकिन धीरे-धीरे सब आईने की तरह साफ हो गया.
ऐसे आप बहुत अच्छे हैं, कोई कमी नहीं है आपमें. कास्ट पता चलते ही आप बुरे हो जाते हैं. आप कामचोर हो जाते हैं, आपकी सारी 'मेरिट' ख़त्म हो जाती है और आप आरक्षण का फ़ायदा लेकर हर जगह घुसपैठ करने वाले बन जाते हैं.
मैंने आज तक आरक्षण का कोई फ़ायदा नहीं लिया. न नौकरी के लिए और न पढ़ाई के लिए. मैंने एमबीए किया और लखनऊ के रेनेंसा होटल में असिस्टेंट मैनेजर हूं.

'मैंने कभी आरक्षण नहीं लिया'

 

मैंने आरक्षण नहीं लिया क्योंकि मुझे इसकी ज़रूरत महसूस नहीं हुई, लेकिन दलितों के एक बड़े तबके को वाक़ई इसकी ज़रूरत है. उन्हें आरक्षण लेना भी चाहिए. ये उनका हक़ है.
लोग आजकल आर्थिक आधार पर आरक्षण की वकालत करते हैं. मुझे इससे कोई दिक्क़त नहीं है. आइडिया अच्छा है.
लाइए आर्थिक आधार पर आरक्षण, लेकिन क्या आप गारंटी दे पाएंगे कि इसके बाद हमारे साथ जाति की वजह से भेदभाव नहीं होगा? हमारा उत्पीड़न बंद हो जाएगा?
मैं तो फिर भी बहुत अच्छी हालत में हूं. आप गांवों में जाकर देखिए.
ऊंची जाति के लोगों के कुएं से पानी लेने पर बवाल होता है, कई स्कूलों में बच्चों को अलग लाइन में बैठाया जाता है. खाना शेयर करना तो दूर, दूसरे बच्चे उनके साथ बैठकर खाना नहीं खा सकते.
क्या ये सब होना बंद हो जाएगा?
'जाति पता चली और नौकरी छोड़नी पड़ी'
मैंने अच्छी पढ़ाई की, जॉब भी कर रही हूं, लेकिन जाति का ये भूत मेरा पीछा ही नहीं छोड़ता.
मैं जब दिल्ली में जॉब करती थी तो वहां कुछ दोस्तों से बातचीत में मेरी कास्ट का पता चल गया. अब क्या मुझे बताने की ज़रूरत है कि इसके बाद क्या हुआ होगा?
हुआ ये कि मैं इतनी अलग-थलग पड़ गई कि मैंने वो नौकरी छोड़ने का फ़ैसला किया. जो पहले दोस्त थे, वे तरह-तरह की टिप्पणी करने लगे. लोगों ने बातचीत बंद कर दी.
न छोड़ती तो डिप्रेशन में आ जाती. इसके बाद मैंने तय किया कि चाहे जो हो जाए अपनी जाति का पता नहीं चलने दूंगी. मैं मजबूर थी.
अभी जहां काम करती हूं वहां भी अब तक अपनी कास्ट नहीं बताई है. मुझे पता है कि मेरी जाति पता चलेगी तो मेरा सर्वाइव करना मुश्किल हो जाएगा.

'हां, मैं दलित हूं'

लेकिन अब मैं खुलकर दुनिया के सामने आना चाहती हूं. हां, मैं दलित हूं. मैंने कोई ग़लत काम नहीं किया. हमसे ग़ुनाहगारों सा बर्ताव करना बंद करिए.
मैंने उत्तर प्रदेश में तीन सरकारें बनती देखीं, लेकिन हालात बदलते नहीं देखा. मायावती ख़ुद को 'दलित की बेटी' कहती ज़रूर हैं, लेकिन उनके कामों में मुझे ऐसा कुछ तो नहीं लगा कि वो दलितों की भलाई करना चाहती हैं.

'हिंदू धर्म नहीं छोड़ूंगी'

 ये सच है कि हिंदू धर्म में सबसे ज़्यादा जातिवाद है, लेकिन मेरे मन में कभी धर्म बदलने का ख़्याल नहीं आया और न ही कभी मैंने भगवान पर भरोसा करना छोड़ा.

मुझे लगता है कि ये शुतुरमुर्ग जैसा होगा जो ख़तरा भांपने पर पत्थर में अपना सिर छिपा लेता है और सोचता है ख़तरा टल गया. शायद ये हालात से भागने जैसा होगा. मैं आसान रास्ते से भागने के बजाय डटकर इन हालात का सामना करना चाहती हूं.
अगर मुझे दूसरी जाति के किसी लड़के से प्यार हुआ तो मैं उससे शादी भी करना चाहूंगी. मेरे भाई ने राजपूत लड़की से शादी की है. हां, ये बात और है कि भाभी के परिवार वाले अब भी इस रिश्ते को कबूल नहीं पाए हैं.

दलित और औरत होना...

 

होटल में मेरे अंडर में एक टीम काम करती है. औरत होने के साथ-साथ दलित होना अपने आप में एक बड़ी चुनौती है. लोग आपको नीचा दिखाने की क़ोशिशों में कोई कसर नहीं छोड़ते.
वो ग़लतियां निकालने के मौक़े ढूंढते है, क्योंकि ग़लती मिलते ही कहेंगे, देखा ये लोग मेहनत तो करते ही नहीं! लोगों को लगता है दलित माने रिज़र्वेशन. वो सोचते हैं कि हमें बस आरक्षण लेना आता है और कुछ नहीं.

Source: BBC HINDI


Monday, May 21, 2018

Watch ! Strange photo in the world देखिए, विश्व की ये 33 अजब-ग़ज़ब फोटोज़


देखिए, विश्व की ये 33 अजब-ग़ज़ब फोटोज़ 

कहा जाता है कि एक तस्वीर हज़ार शब्दों के बराबर होती है और ये सच भी है दोस्त. अलग-अलग देशों में अलग-अलग तरह के लोग रहते हैं और उनकी हरकतें भी अलहदा होती हैं. यहां हम आपको अलग-अलग देशों की तस्वीरें दिखायेंगे जो ये साबित करेंगी कि हर जगह अलग-अलग लोग मिलते हैं.

1. Russia

 2.Russia

3.Ukraine


4.Slovakia


5.Venice

 

6.Texas

7.Japan

8.Hungary

 

9.Singapur

10.Pakistan

 

 

11.Canada

12.Ireland

13.Wisconsin

 

14.Somalia

 

15.Dubai

16.Scotland

17.Mexico

18.Oklahoma

19.Florida

20.Moscow

21.Scotland

22.Australia

23.Vancouver

24.Ireland

25.China

26.California

27.Sweden

28.Canada

29.Poland

30.Norway

31.Poland

32.Bulgaria

33.Scotland

Curated from pulptastic

Wednesday, May 16, 2018

शादी के पहले शिक्षा के महत्व का उदाहरण समझाते हुए इस लड़की ने पहले परीक्षा दी और फिर शादी की अग्नि परीक्षा


शादी के पहले शिक्षा के महत्व का उदाहरण समझाते हुए इस लड़की ने पहले परीक्षा दी और फिर शादी की अग्नि परीक्षा
कुछ लोग इस बात को समझ ही नही पते की उनकी ज़िंदगी मे किस चीज का महत्व ज्यादा है मगर. कर्नाटक की AY Kavya भी उन लोगों में से है. Kavya की शादी और परीक्षा एक ही दिन होने वाली थी. इन हालातों में सामान्यतः लोग परीक्षा छोड़ देंगे या शादी की तारीख आगे बढ़ा देंगे. लेकिन Kavya ने ऐसा कुछ नहीं किया.
कर्नाटक के KR Pete Town में स्थित कलपत्रु डिग्री कॉलेज में पढ़ने वाली Kavya B.Com द्वितीय वर्ष की छात्रा है.इससे पहले B.Com की सभी परीक्षाओं में Kavya ने 90 प्रतिशत से ज़्यादा अंक अर्जित किए थे. ऐसी होनहार छात्रा के लिए परीक्षा छोड़ना कोई विकल्प ही नहीं था. लेकिन परीक्षा की तारीख घोषित होने से पहले ही उसकी शादी की तारीख तय हो गई थी. Kavya अपनी शादी के कार्यक्रम को भी नहीं टालना चाहती थी. ऐसा भी नहीं था कि परीक्षा दिन में थी और शादी रात में. शादी का मुहूर्त सुबह 11 बजे का था और परीक्षा का समय सुबह 9.15 से 12.30 तक का.

Kavya ने जब परीक्षा हॉल में दुल्हन की वेशभूषा में प्रवेश किया तो सब उसे देखते ही रह गए. उसने अपना Business Tax का पेपर 10.48 AM तक ख़त्म कर के परीक्षा निरक्षक को सौंप दिया और अपनी शादी के लिए चली गई. Kavya का होने वाला पति लोहित भी उसके फ़ैसले से खुश था. उसके सगे संबंधियों और दोस्तों ने भी काव्या के इस कदम को सराहा. इसीलिए ज़रूरी है कि शादी के पहले शिक्षा पूरी हो.
Source : indiatimes

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